Tuesday, December 1, 2009
आज एक्जाम खत्म हो गये
उधर सरकार कहती है कि बच्चों से एक्जाम का बोझ कम करेंगे पर इधर स्कूल हैं कि हर कुछ दिन बाड़ एक्जाम और टैस्ट लेते रहते हैं. कोई वीकली तो कोई मंथली. हर सोमवार को कुछ बच्चों को बस स्टाप पर स्कूल बस का इंतजार करते करते किताब में घुसे देखती हूँ तो लगता है एक्जाम कम होने की जगह बढ़ते जा रहे हैं.
आज कल कैट के चर्चे आम हैं. बड़ा डर लगता है, आज क्लास में कंपीट करो, कल बोर्ड में और परसों ये कैट सैट. क्या कभी इन एक्जाम से फुरसत होगी. पापा को आये दिन प्रेजेंटेशन बनाते देखते हूँ तो लगता है, एक्जाम तो नौकरी में भी पीछा नहीं छोड़ते.
खैर, कल मेरे दूसरे टर्म एक्जाम खत्म हुये हैं और मैं खुश हूँ. एक दो दिन पढाई से मुक्ति. कल किताब की दुकान गई और कई सारी किताब खरीदी. अरे पढाई की नहीं, कहानी की, नैंसी ड्रू की क्लोज एनकाउंटरस और एनिड ब्लाएटन की नोटियस्ट गर्ल. लेकिन उन्हें देख पापा कहने लगे, अरे बेटा अपने आप को अपग्रेड करो. कुछ सीरियस पढा करो. डिस्कवरी आफ इंडिया पढो. मैंने कहा, पापा डिस्कवर ही तो हो रहा है सब कुछ, इंडिया हो या दुनियां. हर किताब एक नई दुनियां डिस्कवर करती है.
सम्यक भी एक किताब लाई है, एनिड ब्लाएटन की एडवेंचरस आफ विशिंग चैयर. कास हमारे पास भी एक ऐसी चैयर होती जो हमारी विश पूरी करती. क्या विश ? ये तो पता नहीं. अभी तो मुझमें और सम्यक में कम्पटीशन है, कौन पहले किताब पूरी करता है. केवल आज का दिन है, कल से तो फिर वही ब्राउन कवर की टैक्स्ट बुक पढनी हैं.
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अरे बच्चू, हमारे दार्शनिक तो कहते हैं, ये जीवन ही एक परीक्षा है. पर एक्जाम से डरना कैसा ? सुना है न, कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन.
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