मैं जब मसूरी घूमने गयी तो मेरी इच्छा सुंदर पहाड, झरने और जंगल देखने की तो ठीक हीसाथ ही मेरा मेन था मैं थोडे दिन पहले पढी द ब्लू अम्ब्रेला ( जिस पर बाद में फिल्म भी बनी ) के लेखक रस्किन बांड से मिलूं.बच्चों के चहेते रस्किन बांड यूँ तो अंग्रेज हैं पर इनका जन्म हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था और पिछले कई दशक से मसूरी उनका घर है. मैंने पापा से कहा चलो पापा पहले उनसे मिल लेते हैं और पापा भी मान गये. हमें पता था कि वे लंदौर में रहते हैं पर सही पता नहीं था. पर वे मसूरी के सबसे प्रसिद्ध नागरिक हैं सो आसनी से उनका घर मिल गया. मैंने डरते डरते घंटी बजाई, पता नहीं वे मिलेंगे कि नहीं. एक मैडम ने दरवाजा खोला, बताने पर कहा, क्या आपके पास एपांटमेंट है. हमने कहा, नहीं. उन्होंने कहा, उनकी तबियत ठीक नहीं और वे अंदर चली गयीं. हमें लगा कि मिलना होगा नहीं. पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा, उधर से रस्किन बांड चले आ रहे हैं. मैंने, नमस्ते की. उन्होंने मुझसे प्यार से बातें की. मैंने अपनी आटोग्राफ बुक सामने की तो उन्होंने अपने हस्ताक्षर तो किये ही साथ में एक संदेश भी लिख दिया. इतने में पापा ने फोटो खींच ली और हम थैंक्स कह कर लौट आये.
Tuesday, November 17, 2009
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बहुत बढ़िया। अपने प्रिय लेखकों से मिलने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए।
ReplyDeleteबहुत अच्छा सही कह रहे हैं अजित जी आपको बधाई
ReplyDeleteचलिए आपका प्रयास सफल हुआ
ReplyDeleteहिन्दी में लिखने पर स्वागत.
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ReplyDeleteजितने बड़े लोग उतने ही विनम्र और सरल. वैसे फोटो में रस्किन बॉन्ड के साथ ये लिटिल जेम्स बॉन्ड कौन है
ReplyDeleteअच्छे लेखक मिलनसार होटल हैं क्योंकि जिनसे वे मिलते हैं उन्हीं में से अपनी कहानी के चरित्र ढूंढते हैं. अब देखिये, आप रस्किन बांड से मिले और एक पोस्ट बन गयी.
ReplyDeleteऔर किस किस से मिले हैं आप ! हिन्दी में लिखने पर स्वागत, वैसे आपकी अंग्रेजी पोस्ट भी बहुत अच्छे हैं, खास कर भगत सिंह पर और दोस्ती पर.
ReplyDeleteमेरे कमेंट में, "अच्छे लेखक मिलनसार होते हैं" पढे.
ReplyDeleteअरे वाह, आपकी यात्रा सार्थक हो गयी!
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